Monday, December 10, 2012

दो पात पर

जीवन में चींटी के अनेक उदाहरण पेश किए जाते हैं कि देखो उससे सीखो, वह हिम्मत नहीं हारती है । उसका जीवन सारा समर्पण भाव को दर्शाता है । पर एक दिन मैने यूं ही घर के पास से बहने वाले पानी की ओर रुख किया । उसकी ध्वनि मुझे आकर्षित कर रही थी। मैं क्या देखता हूं कि एक चींटी जैसे तैसे एक पत्ते पर चढ़ी हुई चारों ओऱ से निकलने के रास्ते खोज रही थी । उसकी जान तो पत्ते पर बच गई थीं, पर उसका उद्देश्य इससे आगे जमीन पर आना था ताकि वो जीवन के पथ पर आगे बढ़ सके । ये देख कर मैं भी रुक गया कि देखें वह आगे क्या करती है । मैने देखा कि पास ही से एक दूसरा पत्ता बहता हुआ आया और उस चींटी के पत्ते के साथ अटक गया । चींटी लपक कर आगे बढ़ी और उस पत्ते की ओर जाने लगी । वो पत्ता किनारे को कुछ पास ले आया था । चींटी ने शायद आगे के दोनो पैर भी उस पत्ते पर रख दिए थे । परंतु सहसा वह पीछे की ओर हट गई और फिर से पहले पत्ते पर से निकलने के रास्तों के लिए मुआयना करने लगी । मैं सोचने लगा कि उसने क्यों नहीं उस पत्ते को छोड़ा । आखिर दूसरा पत्ता ज्यादा बड़ा औऱ किनारे नजदीक था । और हो ना हो वह जरुर किसी किनारे लगता । तभी देखा कि पहला पत्ता छिटक कर हट गया औऱ पानी में उलटा हो गया । चींटी पानी में तैर रही थी औऱ उसके पास बचने के लिए कोई उपाय न था । मुझे लगा कि जीवन की लाचारी इससे ज्यादा औऱ कुछ ना हो सकती कि आपके पास मौका हो औऱ आप उसे जाने दो । शायद ऐसे मे चींटी का डूब जाना मात्र नियति भर ही थी । कभी कभी हमे लगता है कि एक अवसर ऐसा है कि शायद जिसका हम जीवन भर से इंतजार कर रहे हैं । औऱ जब वह सामने होता है तब एकदम से विमोह की स्थिति हो जाती है । लगता है कि ये अब मेरे जीवन में सरोकार नहीं रख रही है । औऱ मन दुःखी तो होता ही है पर सबसे बड़ी पीड़ा इस बोध से होती है कि जीवन का निर्बाध बहना अवसरों के महत्व का आधार है ना कि अवसरों का होना । यदि आपको किसी वस्तु की मांग है औऱ वह नहीं है तो उसके विकल्प ही सबसे बेहतर अवसर हैं । जो समय के साथ मिल गया उसे भाग्यशाली होने का प्रमाण माना जाए । जीवन में अनेकों ऐसे अवसरों पर प्रयास का महत्व बढ़ जाता है । पर प्रयास तो अवसरों का मुआयना मात्र ही है । प्रयास से अवसरों का हासिल होना जुड़ा नहीं है । वो तो जभी छलांग लगाई जा सकती है जब जीवन में कोई दैवीय हाथ मदद के लिए आगे बढ़ा हो । और फिर उस डूबती चींटी को मैंने दूसरे पत्ते के सहारे पानी से बाहर निकालकर रख दिया ।

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